संविधान की भावना अनुसार पंचायती राज व्यवस्था के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य रहा है कि ग्राम पंचायत स्तर पूर्ण रूप से आत्म निर्भर एवं
स्वत्रंत हो और पंचायत के लोग स्वयं अपने विकास और सामाजिक बदलाव की जिम्मेदारी लें. उनके अपने कार्यो के लिए बाहरी साधनों
और सरकार पर निर्भर ना होना पड़े.
मध्य प्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 में पंचायत को अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने,
आर्थिक संसाधान तथा अपनी आय के स्त्रोत बढाने के लिए अधिकार दिए गए हैं.
पंचायतें निम्न स्त्रोतों से अपनी आय बढ़ा सकती है: